ईश्वर का बहीखाता
आपको कितने लोग याद करते हैं ? और आप किन किन को याद करते हो ? दोनों ही बातों में आत्मीयता और रिश्तों का गहरा अर्थ छिपा होता है... जब देव पुरुष अथवा गुरु आपको याद करने लगे तो समझ लीजिए आपका जीवन सफल हो गया! एक बार की बात है वीणा बजाते हुए नारद मुनि भगवान श्री राम के द्वार पर पहुँचे! ना रायण! ना रायण !! ना रायण!!! नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे हैं... हनुमान जी ने पूछा: मुनि महाराज! कहां जा रहे हैं ? नारद जी बोले: मैं प्रभु श्रीराम जी से मिलने जा रहा हूं. नारद जी ने हनुमान जी से पूछा कि प्रभु इस समय क्या कर रहे है ? हनुमानजी बोले: पता नहीं पर कुछ बहीखाते में लिखने पढने का काम कर रहे हैं, बहीखाते में कुछ लिख रहे है... नारद जी बोले: अच्छा ? क्या लिखा पढ़ी कर रहे है ? हनुमान जी बोले: मुझे पता नहीं मुनिवर आप खुद ही पूछ लें...! नारद मुनि प्रभु श्रीराम जी के पास पहुंचे और देखा कि प्रभु कुछ लिख रहे हैं! नारद जी बोले: प्रभु आप! बही खाते का काम कर रहे हैं ? ये काम तो किसी मुनीम को दे देते? प्रभु बोले: नहीं मुनिवर, मेरा काम मुझे ही करना पड़ता है! ये काम